!! दोहा !!
बंशी शोभित कर मधुर,
नील जलद तन श्याम !
अरुण अधर जनु बिम्बफल,
नयन कमल अभिराम !!
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,
पीताम्बर शुभ साज !
जय मनमोहन मदन छवि,
कृष्णचन्द्र महाराज !!
॥ चौपाई ॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन !
जय वसुदेव देवकी नन्दन !!
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे !
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे !!
जय नट-नागर नाग नथैया !
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया !!
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो !
आओ दीनन कष्ट निवारो !!
वंशी मधुर अधर धरी तेरी !
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो !!
आओ हरि पुनि माखन चाखो !
आज लाज भारत की राखो !!
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे !
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे !!
रंजित राजिव नयन विशाला !
मोर मुकुट वैजयंती माला !!
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे !
कटि किंकणी काछन काछे !!
नील जलज सुन्दर तनु सोहे !
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे !!
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले !
आओ कृष्ण बांसुरी वाले !!
करि पय पान, पुतनहि तारयो !
अका बका कागासुर मारयो !!
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला !
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला !!
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई !
मसूर धार वारि वर्षाई !!
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो !
गोवर्धन नखधारि बचायो !!
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई !
मुख महं चौदह भुवन दिखाई !!
दुष्ट कंस अति उधम मचायो !
कोटि कमल जब फूल मंगायो !!
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें !
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें !!
करि गोपिन संग रास विलासा !
सबकी पूरण करी अभिलाषा !!
केतिक महा असुर संहारयो !
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो !!
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई !
उग्रसेन कहं राज दिलाई !!
महि से मृतक छहों सुत लायो !
मातु देवकी शोक मिटायो !!
भौमासुर मुर दैत्य संहारी !
लाये षट दश सहसकुमारी !!
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा !
जरासिंधु राक्षस कहं मारा !!
असुर बकासुर आदिक मारयो !
भक्तन के तब कष्ट निवारियो !!
दीन सुदामा के दुःख टारयो !
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो !!
प्रेम के साग विदुर घर मांगे !
दुर्योधन के मेवा त्यागे !!
लखि प्रेम की महिमा भारी !
ऐसे श्याम दीन हितकारी !!
भारत के पारथ रथ हांके !
लिए चक्र कर नहिं बल ताके !!
निज गीता के ज्ञान सुनाये !
भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये !!
मीरा थी ऐसी मतवाली !
विष पी गई बजाकर ताली !!
राना भेजा सांप पिटारी !
शालिग्राम बने बनवारी !!
निज माया तुम विधिहिं दिखायो !
उर ते संशय सकल मिटायो !!
तब शत निन्दा करी तत्काला !
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला !!
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई !
दीनानाथ लाज अब जाई !!
तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला !
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला !!
अस नाथ के नाथ कन्हैया !
डूबत भंवर बचावत नैया !!
सुन्दरदास आस उर धारी !
दयादृष्टि कीजै बनवारी !!
नाथ सकल मम कुमति निवारो !
क्षमहु बेगि अपराध हमारो !!
खोलो पट अब दर्शन दीजै !
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै !!
!! दोहा !!
यह चालीसा कृष्ण का,
पाठ करै उर धारि !
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,
लहै पदारथ चारि !!