आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की !!
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि !
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की !!
!! आरती श्री वृषभानुसुता की..!!
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि !
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की !!
!! आरती श्री वृषभानुसुता की..!!
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी !
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,
अति अमूल्य सम्पति समता की !!
!! आरती श्री वृषभानुसुता की..!!
! आरती श्री वृषभानुसुता की !
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि !
जगजननि जग दुखनिवारिणि,
आदि अनादिशक्ति विभुता की !!
!! आरती श्री वृषभानुसुता की..!!
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की !!